*बिन पैसों के प्यार नहीं है*
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बिन पैसों के प्यार नहीं है
घर में भी व्यवहार नहीं है
सब्जी- आटा दूर की बातें
डिब्बे में अचार नहीं है
बिन पैसों के प्यार नहीं है.........
शिक्षा बीच में छूट गई है
प्रेमिका भी रूठ गई है
रोजगार की टांग टूट गई
जीने का आधार नहीं है
बिन पैसों के प्यार नहीं है ........
मां की बीमारी बढ़ गई है
पापा की चिंता बढ़ गई है
बीवी की साड़ी ना आयी
उम्मीदें बेजार रही है
बिन पैसों के प्यार नहीं है ........
मंदिर में प्रवेश नहीं है
मस्जिद में दरवेश नहीं है
खाली जेबें कोई ना पूछें
कोई किसी का यार नहीं है
बिन पैसों के प्यार नहीं है.........
मानवता पैसों से तुलती
इसी बात पर तुलसी झुलसी
जो चाहे वो सब करवा लो
पैसों में वो धार रही है
बिन पैसों के प्यार नहीं है.........
रिश्ते- नाते सब झूठे हैं
बिन पैसों के सब रूठे हैं
बात कोई ना करता उससे
हालत जिसकी बेजार रही है
बिन पैसों के प्यार नहीं है..........
मुझसे पूछो क्या है पैसा
सब बेकार यदि ना पैसा
सपने जलकर खाक हुए हैं
सांसे तार-तार रही है
बिन पैसों के प्यार नहीं है .......
पैसा बड़ी बीमारी भारी
इससे घर रहती लाचारी
बिकती इज्जत रोज भूख में
इतना भी लाचार रही है
बिन पैसों के प्यार नहीं है..........
बेटा ना कोई बेटी है
घर में कंगाली बैठी है
टूटे कितने खून के रिश्ते
कब रिश्तो में तार रही है
बिन पैसों के प्यार नहीं है.........
कला की कब कीमत बिन पैसा
लोग कहे उसे ऐसा- वैसा
आत्महत्या का ये है कारण
रोज गरीबी मार रही है
बिन पैसों के प्यार नहीं है .........
हाय कहां से आया पैसा
खूब नचाये सबको पैसा
कोई बन गया खूनी- डाकू
सब पर इसकी मार रही है
बिन पैसों के प्यार नहीं है ........
जो पैसों का बना पुजारी
वह मानवता का हत्यारी
बुद्ध जैसे त्यागी नहीं मिलते
नीयत सब की जार रही है
बिन पैसों के प्यार नहीं है .......
माना पैसा बहुत जरूरी
यह इंसा की है मजबूरी
पर मानवता बड़ी है सबसे
जीने का आधार रही है
बिन पैसों के प्यार नहीं है........
मत पैसों से रिश्ते तौलों
अपनों को बाहों में ले लो
दौलत आनी जानी छाया
ये हर वक्त खार रही है
बिन पैसों के प्यार नहीं है.........
"सागर" पैसा बहुत जरूरी
बनने मत दो ये मजबूरी
लालच से बस पाप है होता
जैसा बोता - वैसा पाता
पैसा कोई हथियार नहीं है
बिन पैसों के प्यार नहीं है.........
माना घर में व्यवहार नहीं है
पर पैसा सरकार नहीं है
जीनें का आधार नहीं है
मन इतना लाचार नहीं है
खार है ये घर-बार नहीं है
पैसा चौकीदार नहीं है
पैसा मेरा प्यार नहीं है
पैसे बिन उद्धार नहीं है
फिर भी मेरा प्यार नहीं है
हां ये मेरा प्यार नहीं है।
हां ये मेरा प्यार नहीं है।।
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मूल गीतकार/ बेखौफ शायर
डॉ. नरेश कुमार "सागर"
हापुड़, उत्तर प्रदेश
06/02/2021.....9149087291
बहुत अच्छी,यथार्थवादी रचना आदरणीय।
ReplyDeleteजी बहुत बहुत आभार आपका
Deleteबहुत ही सुंदर प्रस्तुति सरजी
ReplyDeleteबहुत बहुत धन्यवाद भाई साहब
Deletevery good
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