*दलित हिन्दू का सच*
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हां मैं हूं दलित हिन्दू
हमेशा दलने के लिए
पिटने के लिए
मरने के लिए
गाली खाने के लिए
बेजत होने के लिए
काम आता हूं......... क्योंकि
मैं दलित हिन्दू हूं।
सदियों से जबरदस्ती से हिन्दू बना हुआ हूं
जबकि.....
वो नहीं बैठने देते पास
वो नहीं कहने देते बात
वो नहीं जानें देते मंदिर
वो नहीं पढ़ने देते स्कूल
वो नहीं पहनने देते नये कपड़े
वो नहीं मनाने देते खुशीयां
फिर भी गिनती में रहा हूं शामिल
मैं दलित हिन्दू हूं.......।
मेरे छूने से हो जातें हैं ये अपवित्र
मेरे छूने से हो जातें हैं मंदिर मैले
जिन्हें धुलवाया जाता है पशुओं के मल मूत्र से
मैंने भी स्वयं को बना लिया ढीट
और बेशर्म
और करता रहा वहीं काम जिसके करने से होता रहा अपमानित कदम- कदम पर।
मगर क्या अब भी जरूरत है मुझे दलित हिन्दू बने रहने की ...?
क्या मैं बौद्ध से फिर बौद्ध नहीं बन सकता ...?
कब तक ...... महज़
वोट डालने,
मंदिर बचाने ,
गाय बचाने की लड़ाई में मरने को शामिल होकर गर्व महसूस करते रहोगे।
मुझे किसी भी ग्रंथ , उपनिषद,
वेद......पुराण में हिन्दू नहीं माना
जानवर भी आजाद थे
अपनी जिंदगी जीने के लिए
........ मगर हम बंदिशों में कैद
हमारे अधिकार किसने छीने
हमारी बहन- बेटियों को किसने लूटा
हमारे आगे मटका और पीछे झाड़ू किसने बांधी
..........और अब कौन लोग हैं
जो तोड़ रहे हैं हमारे मसीहा की प्रतिमाएं
खत्म करा रहे हैं आरक्षण
जला रहे हैं संविधान
और दे रहे हैं ऊंना,हाथरस, जैसी घटनाओं को अंजाम
क्या ये कार्य मुस्लिम कर रहे हैं...?
क्या ये अत्याचार इसाई करा रहे हैं .....?
कहीं सरदार तो ये काम नहीं करा रहे .....?
या अंग्रेजी सरकार का है ये फरमान ....?
इन सभी सवालों का एक ही जबाव है ........ नहीं।
फिर कौन है .........?
.............केवल हिन्दू।।
तो क्या अब भी दलित हिन्दू बनकर जान पूछकर गुलामी की बेड़ियां पहनकर खुद को नीच,अछूत, ढेड़,डोम, गंवार, हरिजन जैसे शब्दों से अपमानित होना चाहते हो .....?
छोड़ क्यूं नहीं देते वो धर्म
जिसे तुम्हारे मसीहा ने छोड़ दिया
जो तुम्हें कभी सम्मान दे ही नहीं सकता
दिल से कभी लगा ही नहीं सकता
अपने पास बिठा ही नहीं सकता
मैं अब दलित हिन्दू नहीं हूं
आप कब तक
दलित हिन्दू बनकर रहोगे.......
बोलो .........???
आज तुम किसी के दबाव में नहीं
अपने स्वार्थ और स्वाद में
जबरदस्ती के हिन्दू बने हुए हो
यही आपके शोषण का सबसे बड़ा कारण है.......सोचना ....??
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जनकवि/बेखौफ शायर
डॉ. नरेश सागर
24/02/21