..........गीत
*धरती बाबा बिरसा मुंडा*
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अंग्रेजों को खूब डराया ।
जब जी चाहा इन्हें हराया ।।
बड़े बहादुर बिरसा मुंडा ,
जीत का परचम भी फहराया।
छोड़ पढ़ाई जनहित अपनी ,
मुंडा वाली फौज बनाया ।।
हक अधिकार मांगे जो अपने,
अंग्रेजों ने जुल्म भी ढाया ।
लगान नहीं देंगे जब बोले,
कारावास में बंद कराया ।।
कब हारे थे बिरसा मुंडा ,
खूंटी थाना खूब हिलाया ।
लेकर 400 सैनिक अपने,
अंग्रेजों को खूब भगाया ।।
मगर डोंम्बरी पहाड़ सभा में,
अंग्रेजों ने उत्पात मचाया ।
ना बच्चे ना महिला छोड़ी,
खूनी खेल जालिम ने खिलाया।।
तेज धनुर्धर वीर सिपाही,
कब अंग्रेजों से घबराया ।
तांगा नदी के तट पर उसने,
गौरों को बुरी तरह हराया ।।
पड़ी वक्त की बाजी उल्टी,
गम का बादल काला छाया।
इस यौद्धा को पकड़ गौरों ने,
कारावास में फिर डलवाया।।
डर से कांप रहे गौरों ने ,
इस योद्धा को जहर खिलाया ।
इस तरह धरती बाबा को,
"सागर" गौरों ने मरवाया ।।
जय हो जय हो धरती बाबा,
तूने नया इतिहास रचाया।
जब तक दम में दम था तुम्हारे,
नहीं हार को गले लगाया।।
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जनकवि /बेखौफ शायर
डॉ.नरेश कुमार "सागर"
ग्राम- मुरादपुर ,सागर कॉलोनी, जिला- हापुड़ ,उत्तर प्रदेश
*इंटरनेशनल साहित्यकार से सम्मानित*
9149087291
Bhoth acha likha hai.
ReplyDeleteसुंदर रचना। भाई नरेश सागर जी।
ReplyDeleteवाह।
आभार।
ओम सपरा
नई दिल्ली
बहुत सुंदर रचना नरेश जी
ReplyDeleteबेहतरीन रचना
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