Wednesday, June 9, 2021

*धरती बाबा बिरसा मुंडा*

 ..........गीत

*धरती बाबा बिरसा मुंडा*


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अंग्रेजों को खूब डराया ।

जब जी चाहा इन्हें हराया ।।

बड़े बहादुर बिरसा मुंडा ,

जीत का परचम भी फहराया।

 छोड़ पढ़ाई जनहित अपनी ,

मुंडा वाली फौज बनाया ।।

हक अधिकार मांगे जो अपने,

 अंग्रेजों ने जुल्म भी ढाया ।

लगान नहीं देंगे जब बोले,

 कारावास में बंद कराया ।।

कब हारे थे बिरसा मुंडा ,

खूंटी थाना खूब हिलाया ।

लेकर 400 सैनिक अपने,

 अंग्रेजों को खूब भगाया ।।

मगर डोंम्बरी पहाड़ सभा में,

 अंग्रेजों ने उत्पात मचाया ।

ना बच्चे ना महिला छोड़ी,

 खूनी खेल जालिम ने खिलाया।।

 तेज धनुर्धर वीर सिपाही,

 कब अंग्रेजों से घबराया ।

तांगा नदी के तट पर उसने,

 गौरों को बुरी तरह हराया ।।

पड़ी वक्त की बाजी उल्टी,

 गम का बादल काला छाया।

 इस यौद्धा को पकड़ गौरों ने,

 कारावास में फिर डलवाया।।

 डर से कांप रहे गौरों ने ,

इस योद्धा को जहर खिलाया ।

इस तरह धरती बाबा को,

 "सागर" गौरों ने मरवाया ।।

जय हो जय हो धरती बाबा,

 तूने नया इतिहास रचाया।

 जब तक दम में दम था तुम्हारे,

 नहीं हार को गले लगाया।।

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जनकवि /बेखौफ शायर

 डॉ.नरेश कुमार "सागर"

 ग्राम- मुरादपुर ,सागर कॉलोनी, जिला- हापुड़ ,उत्तर प्रदेश

 *इंटरनेशनल साहित्यकार से सम्मानित*

9149087291

Tuesday, April 6, 2021

*मुझको भागीदारी चाहिए*
🤝✍🏻🙏🏻................
मुझको भागीदारी चाहिए ।
अपना हक अधिकार चाहिए।।

*मैं भी हूं इस देश का बेटा।*
*मुझको भी सम्मान चाहिए ।।*

 शिक्षा का सम्मान चाहिए।
बराबरी का रोजगार चाहिए।।

*धर्म से क्यूं दूर रखते हो मुझको।*
*कुछ मंदिरों का व्यापार चाहिए।।*

आरक्षण तुम आज छीन लो ।
कुछ खेतों पर राज चाहिए ।।

*स्वर्ण - शुद्र का भेद मिटाकर।*
*मानवता अधिकार चाहिए ।।*

भारतवासी भाई भाई है ।
समता का अधिकार चाहिए।।

*धर्म लड़ाई बंद करों अब।*
*संविधान का राज चाहिए।।*

कब तक छुटभैया बन नाचे।
पी.एम.पद का भार चाहिए।।

*ऊंच नीच के पाखंडवाद से।*
*हमको अब तो निजात चाहिए।।*

मेरे हिस्से का मुझे दे दो।
बराबर का अधिकार चाहिए।।

*सब में ठीक से हो बंटवारा।*
*सब में भागीदारी चाहिए।।*

शिक्षा और शिवाले दे दो।
मुझको सही निवाले दे दो।।

*मेरे नाम भी करो मीडिया।*
*मुझको खेत खलिहाने दे दो।।*

दे दो मुझको फिल्मी दुनिया।
मुझको मील-खदाने दे दो।।

*मुझको हिस्सा चौथाई चाहिए।*
*मुझको एक- एक पाई चाहिए।।*

"सागर" एक बराबर है सब।
हमको ये अधिकार चाहिए।।
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*जनकवि/बेखौफ शायर*
डॉ. नरेश कुमार "सागर"
*इंटरनेशनल साहित्य अवार्ड से सम्मानित*
9897907490.....9149087291

Friday, March 12, 2021

आओ मतदान करें

 ........ गीत.....

आओ मतदान करें  

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मतदान आ गया है, मत को ना रोकिए 

गुंडे -भ्रष्ट लोगों को , आने से रोकिए 

घर से निकलना सोचकर, देना है किसे वोट 

अपने पड़ोसी को भी, एक बार टोकिए 

मतदान आ गया है ------- 

यह वोट का अधिकार, यूं ही ना मिला है 

कितने ही शहीदों की, शहादत का सिला है 

संविधान में सभी को, अधिकार मिला है 

अधिकार अपने यूं ही, ना तुम जाने दीजिए 

मतदान आ गया है ------- 

छोटी सी भूल का, बड़ा हर्जाना मिलेगा 

5 साल तक फिर कोई, गुंडा ही मिलेगा 

बोयेगा जातिवाद का, जहरीला बीज वो 

राम और रहीम की ,लड़ाई को रोकिए 

मतदान आ गया है ------- 

तुम अपनी वोटो से, भ्रष्टों को चोट दो 

जो देश की सोचे, बस उसी को वोट दो 

ना नोट के बदले में, बेचना वोट तुम 

तुम देश को लुटने और बिकने से रोकिए 

मतदान आ गया है -----!! 

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जनकवि/बेखौफ शायर

डॉ. नरेश कुमार "सागर"

ग्राम..मुरादपुर, सागर कॉलोनी, हापुड़, उत्तर प्रदेश

9149087291

Sunday, March 7, 2021

कुछ तो लोग कहेंगे कह लो।

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कुछ तो लोग कहेंगे कह लो।

विधा ..... गीत

दिनांक.....07/03/2021

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कुछ तो लोग कहेंगे कह लो

 काम करो अभी चुप रह लो

 पहले चमका लो राहों को 

फिर तुम भी चाहे जो बोलो 

कुछ तो लोग ..............

इनका क्या है कुछ भी कहदें

 बीज नफरतों के ये बोदें

 इनको आता बस कह देना 

मत इनसे उलझे तुम रहना 

इनको ना अच्छे से तोलो 

कुछ तो लोग .................

इनकी उंगली उठती सब पर

 यह इल्जाम लगा दे रब पर

 ये विभिषण के हैं साथी 

इनको समझो मखना हाथी

अपना आपा इनसे बचा लो 

कुछ तो लोग .................

इनको तुम बस स्वान समझ लो

 इनको गंदा गान समझ लो 

इनके कहनें पर ना जाना 

इन पर ना तुम ध्यान लगाना

 इनसे अपना ध्यान हटा लो 

कुछ तो लोग ................

 तुमको बस बढ़ते जाना है 

अपने कद को चमकाना है 

ध्यान रखो अपनी मंजिल पर

 खुद को ना ऐसे धूमिल कर

 इनकी कच्ची बात पचालो 

कुछ तो लोग ..............

बाधाओं से हमको लड़ना

 हर हालत में आगे बढ़ना 

इनकी सब बातों को भुला दो

 इनकी बातें इन पर लाधो

 "सागर" सुन कानों पर टालो 

कुछ तो लोग ........... 

 काम करो अभी चुप रह लो

 पहले चमका लो राहों को

 फिर तुम भी चाहे जो बोलो

 कुछ तो लोग कहेंगे कह लो।।

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प्रस्तुत गीत गीतकार का मूल व अप्रकाशित गीत है

जनकवि/बेखौफ शायर

डॉ. नरेश कुमार "सागर"

Thursday, February 25, 2021

*दलित हिन्दू का सच*

 *दलित हिन्दू का सच*


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हां मैं हूं दलित हिन्दू

हमेशा दलने के लिए

पिटने के लिए

मरने के लिए

गाली खाने के लिए

बेजत  होने के लिए

काम आता हूं......... क्योंकि 

मैं दलित हिन्दू हूं।

सदियों से जबरदस्ती से हिन्दू बना हुआ हूं

जबकि.....

वो नहीं बैठने देते पास

वो नहीं कहने देते बात

वो नहीं जानें देते मंदिर

वो नहीं पढ़ने देते स्कूल

वो नहीं पहनने देते नये कपड़े

वो नहीं मनाने देते खुशीयां

फिर भी गिनती में रहा हूं शामिल

मैं दलित हिन्दू हूं.......।

मेरे छूने से हो जातें हैं ये अपवित्र

मेरे छूने से हो जातें हैं मंदिर मैले

जिन्हें धुलवाया जाता है पशुओं के मल मूत्र से

मैंने भी स्वयं को बना लिया ढीट

और बेशर्म

और करता रहा वहीं काम जिसके करने से होता रहा अपमानित कदम- कदम पर।

मगर क्या अब भी जरूरत है मुझे दलित हिन्दू बने रहने की ...?

क्या मैं बौद्ध से फिर बौद्ध नहीं बन सकता ...?

कब तक ...... महज़

वोट डालने, 

मंदिर बचाने ,

गाय बचाने की लड़ाई में मरने को शामिल होकर गर्व महसूस करते रहोगे।

मुझे किसी भी ग्रंथ , उपनिषद,

वेद......पुराण में हिन्दू नहीं माना

जानवर भी आजाद थे

 अपनी जिंदगी जीने के लिए

........ मगर हम बंदिशों में कैद 

हमारे अधिकार किसने छीने

हमारी बहन- बेटियों को किसने लूटा

हमारे आगे मटका और पीछे झाड़ू किसने बांधी

..........और अब कौन लोग हैं

जो तोड़ रहे हैं हमारे मसीहा की प्रतिमाएं

खत्म करा रहे हैं आरक्षण

जला रहे हैं संविधान

और दे रहे हैं ऊंना,हाथरस, जैसी घटनाओं को अंजाम 

क्या ये कार्य मुस्लिम कर रहे हैं...?

क्या ये अत्याचार इसाई करा रहे हैं .....?

कहीं सरदार तो ये काम नहीं करा रहे .....?

या अंग्रेजी सरकार का है ये फरमान ....?

इन सभी सवालों का एक ही जबाव है ........ नहीं।

फिर कौन है .........?

.............केवल हिन्दू।।

तो क्या अब भी दलित हिन्दू बनकर जान पूछकर गुलामी की बेड़ियां पहनकर खुद को नीच,अछूत, ढेड़,डोम, गंवार, हरिजन जैसे शब्दों से अपमानित होना चाहते हो .....?

छोड़ क्यूं नहीं देते वो धर्म

जिसे तुम्हारे मसीहा ने छोड़ दिया

जो तुम्हें कभी सम्मान दे ही नहीं सकता

दिल से कभी लगा ही नहीं सकता

अपने पास बिठा ही नहीं सकता

मैं अब दलित हिन्दू नहीं हूं

आप कब तक 

दलित हिन्दू बनकर रहोगे.......

बोलो .........??? 

आज तुम किसी के दबाव में नहीं

अपने स्वार्थ और स्वाद में 

जबरदस्ती के हिन्दू बने हुए हो

यही आपके शोषण का सबसे बड़ा कारण है.......सोचना ....??

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जनकवि/बेखौफ शायर

डॉ. नरेश सागर

24/02/21

Monday, February 15, 2021

*आओ प्यार की पैंग बढ़ाएं*

 *आओ प्यार की पैंग बढ़ाएं*


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कब से तुमको सोच रहा हूं।

 कब से तुमको देख रहा हूं 

जाने तुम कहां खोई हुई हो

जाने कितना सोई हुई हो 

कब से मैं आवाज दे रहा

 तुम हो कि सुनती ही नहीं हो

 देखो मैंने गीत लिखा है 

देखो मैंने क्या लिखा है 

एक तस्वीर बनाई है मैंने

 देखो किसका रंग चढ़ा है

 आओ प्रिय आ भी जाओ

 मौसम कितना खिला-खिला है

 सुना है बसंत आ गया है

 हम दोनों में क्या शिकवा है

 आओ प्रिय हम भी मिल जाए

 आओ प्रिय हम घुल मिल जाए

 आओ प्रिय कुछ बातें कर ले

 आओ प्रिय मुलाकातें कर ले

 हम दुनिया को यह दिखलाएं

 आओ प्रिय हम प्यार सिखाएं

 आओ प्रिय हम प्यार सिखाएं

हम भी मिलकर गीत ये गाएं

आओ प्यार की पैंग बढ़ाएं।।

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मूल गीतकार/बेखौफ शायर

*डॉ. नरेश कुमार "सागर"*

15/02/2021

Saturday, February 13, 2021

हैप्पी वैलेंटाइन डे

 


गीत ...हैप्पी वैलेंटाइन डे

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प्यार पै भारी फाइन है,

देखो वैलेंटाइन है

जो भी मांझी संग पकड़ा,

डंडों का बदन पर साइन है………. देखो वैलेंटाइन है


घर से संभल -संभल जाना

बीवी को भी संग मत ले जाना

बैठे जो कहीं होटल में संग,

मीडिया की वहां लंबी लाइन है……….. देखो वैलेंटाइन है


फूल के बदले शूल मिले

राहों में जो किसी से पेच लड़े

मोहब्बत का नशा उतरे नीचे,

खाकी का गुस्सा टाईन है ……………….देखो वैलेंटाइन है


13 में मिलो 15 में मिलो

14 में s.m.s. युद्ध करो

यादों में गुम हो कर देखो

ख्वाबों की खुली वाइन है ……………….. देखो वैलेंटाइन है


हर तरफ खौफनाक पहरे

मिलने पर बादल है गहरे

सरे-राह मिलने पर कर्फ्यू ,

सपनों की खुली सब लाइन है …………….देखो वैलेंटाइन है


बजरंग दल यूं फूंकार रहा

पश्चिम को वो ललकार रहा

वैलेंटाइन पर रोक लगाने को

शिवसेना ने खोली ज्वाइन है ……………..देखो वैलेंटाइन है


इंकलाब करो मिलने वालों

खुलकर मिलो मिलने वालों

कह दो जमाने से तुम “सागर”

पी हमने इश्क की वाइन है ……………देखो वैलेंटाइन है!!

===मूल गीतकार … बेखौफ शायर

*डॉ. नरेश “सागर”*

9149087291

*धरती बाबा बिरसा मुंडा*

 ..........गीत *धरती बाबा बिरसा मुंडा* ================= अंग्रेजों को खूब डराया । जब जी चाहा इन्हें हराया ।। बड़े बहादुर बिरसा मुंडा , जीत क...